लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> आदित्य हृदय स्तोत्र

आदित्य हृदय स्तोत्र

अगस्त्य ऋषि

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :34
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9544

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

420 पाठक हैं

राम रावण युद्ध के समय अगस्त्य ऋषि द्वारा बतलाई गई सूर्य आराधना। शक्ति और सामर्थ्य की प्राप्त के लिए की जाने वाली आराधना।

आदित्यहृदयस्तोत्रम्  Aaditya Hridayam

विनियोग
ॐ अस्य आदित्यहृदयस्तोत्रस्यागस्त्यऋषिरनुष्टुपछन्दः, आदित्यहृदयभूतो भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।

ऋष्यादिन्यास
ॐ अगस्त्यऋषये नमः, शिरसि।
ॐ अनुष्टुपछन्दसे नमः, मुखे।
ॐ आदित्यहृदयभूतब्रह्मदेवतायै नमः, हृदि।
ॐ बीजाय नमः, गुह्ये।
ॐ रश्मिमते शक्तये नमः, पादयो।
ॐ तत्सवितुरित्यादिगायत्रीकीलकाय नमः, नाभौ।

करन्यास
इस स्तोत्र के अंगन्यास और करन्यास तीन प्रकार से किये जाते हैं। केवल प्रणव से, गायत्रीमन्त्र से अथवा ‘रश्मिमते नमः’ इत्यादि छः नाम मन्त्रों से।
यहाँ नाम मन्त्रों से किये जाने वाले न्यास का प्रकार बताया जाता है -

ॐ रश्मिमते अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ समुद्यते तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ देवासुरनमस्कृताय मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ विवस्वते अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ भास्कराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ भुवनेश्वराय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

हृदयादि अंगन्यास
ॐ रश्मिमते हृदयाय नमः।
ॐ समुद्यते शिरसे स्वाहा।
ॐ देवासुरनमस्कृताय शिखायै वषट्।
ॐ विवस्वते कवचाय हुम्।
ॐ भास्कराय नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ भुवनेश्वराय अस्त्राय फट्।
इस प्रकार न्यास करके निम्नांकित मंत्र से भगवान सूर्य का ध्यान एवं नमस्कार करना चाहिए-
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
तत्पश्चात स्तोत्र का पाठ करना चाहिये।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai